
कोरोना को हराना इतना आसान नहीं, टीका लग गया तो भी चौड़े होकर न घूमें, ये सब करते रहें
कोरोना संक्रमण की दस्तक के बाद से ही पूरी दुनिया एक ऐसे टीके के इंतजार में जुटी थी, जो सार्स-कोव-2 वायरस के कहर को थाम सके। विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण कोरोना के प्रसार को रोकने का एकमात्र जरिया है। हालांकि, देश-दुनिया में वैक्सीन की पहली या दोनों खुराक लेने के बावजूद लाभार्थियों में संक्रमण पनपने के कई मामले सामने आए हैं। इसकी वजह टीकाकरण के बाद वायरस के खतरे को लेकर लापरवाह हो जाना है। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि वैक्सीन लगने के बाद भी लोगों को मास्क पहनना चाहिए, हाथ धोना चाहिए और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए। भारत में सामने आए ऐसे मामले
-बॉलीवुड अभिनेता परेश रावल और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक लेने के बाद वायरस की जद में आए
-सात अप्रैल को लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के 40 डॉक्टर संक्रमित मिले, इनमें से कई को टीके की एक, जबकि कई को दोनों खुराक लग चुकी थी पर संक्रमण की दर बेहद कम
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपे शोध के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर में 8121 कर्मचारियों ने कोविड-19 टीकाकरण करवाया था। इनमें से महज चार में बाद में संक्रमण उभर कर सामने आया। वहीं, 14990 कर्मचारियों को यूसी सैन डिएगो हेल्थ एंड डेविड जेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन में टीका लगाया गया, दूसरी खुराक के कुछ हफ्तों बाद सिर्फ सात संक्रमित हुए।
बिना लक्षण वाले संक्रमित ज्यादा
नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि टीकाकरण के बाद कोरोना संक्रमण की चपेट में आने वाले ज्यादातर मरीज ‘एसिम्प्टोमैटिक’ यानी बिना लक्षण वाले थे। इससे स्पष्ट है कि वैक्सीन भले ही वायरस को हमला करने से नहीं रोक पाई हो, लेकिन यह व्यक्ति के गंभीर रूप से बीमार पड़ने या भर्ती होने का खतरा घटाने में जरूर सफल रही इसलिए जरूरी है टीकाकरण
-विशेषज्ञों के मुताबिक टीकाकरण का मतलब वायरस का अंत नहीं होता, कोई भी मौजूदा वैक्सीन संक्रमण से सौ फीसदी सुरक्षा की गारंटी नहीं देती
-टीकाकरण सिर्फ आपके शरीर को वायरस के घातक दुष्परिणामों से बचाता है, वैक्सीन लगवाने के बाद भी सभी एहतियाती उपाय अपनाने चाहिए
-लापरवाही बरतने पर टीकाकारण के लाभार्थी न सिर्फ खुद संक्रमण का शिकार हो सकते हैं, बल्कि औरों में भी वायरस के वाहक बन सकते हैं
-पर चूंकि, वैक्सीन कोविड-19 के गंभीर रूप अख्तियार करने का खतरा और संक्रमण की प्रसार दर घटाती है, इसलिए इसकी तय खुराक लेना जरूरी है वायरस की जद में आने की वजहें
-मास्क पहनने, हाथ धोने, सैनेटाइजर का इस्तेमाल करने और सोशल डिस्टेंसिंग पर अमल जैसे सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करते
-चिकित्सकों की ओर से सुझाए गए टीकाकरण के बाद के एहतियाती उपायों को अमल में नहीं लाते, प्रतिरोधक तंत्र से जुड़ी समस्याएं
-वैक्सीन की दूसरी खुराक समय पर नहीं लेना या फिर लगवाना ही नहीं, 80 से 90 फीसदी आबादी के टीकाकरण तक सतर्कता बनाए रखना जरूरी